मैं पथिक हूँ मैं पथिक हूँ राह अपनी खोजता हूँ
किस किरण को किस नजर को मैं पथिक हूँ खोजता हूँ
आइना तो साफ़ है फिर आईने में किसे खोजता हूँ
मैं पथिक मैं पथिक हूँ राह अपनी खोजता हूँ
...........................कुछ
Saturday, June 27, 2009
कागज़ के निशाँ
जब तुमने प्यार के निशाँ कागज़ पर बनाए थे
हमने उन निशाँ को सिरहाने पर सजाये थे
महसूस की थी हमने उन सांसो की महक
जब हमने उन निशाँ पर निशाँ मिलाये थे
रातों को जाग हमने दिन के सपने सजाये थे
जब हमने उन निशाँ पर निशाँ सजाये थे
याद है वो रात जब तुम सपनो में आए थे
सपनो में आकर ख्वाबों से जगाये थे
रख कर हाथों पर हाथ लकीरों को मिलाये थे
करता हूँ इंतजार याद है कल का इकरार
करीब से गुजरता है बदनसीब है खरीदार
कागज़ के दाम हमने भी चुकाए थे
सिरहाने कोरे लिहाफ बिछाये थे
वो पर ऐसे थे की शरीर को साँसों से
और साँसों को ख़ुद से चुराए थे
कब से खोई दुनिया में कागज़ के महल सजाये थे
To : Inspiration
हमने उन निशाँ को सिरहाने पर सजाये थे
महसूस की थी हमने उन सांसो की महक
जब हमने उन निशाँ पर निशाँ मिलाये थे
रातों को जाग हमने दिन के सपने सजाये थे
जब हमने उन निशाँ पर निशाँ सजाये थे
याद है वो रात जब तुम सपनो में आए थे
सपनो में आकर ख्वाबों से जगाये थे
रख कर हाथों पर हाथ लकीरों को मिलाये थे
करता हूँ इंतजार याद है कल का इकरार
करीब से गुजरता है बदनसीब है खरीदार
कागज़ के दाम हमने भी चुकाए थे
सिरहाने कोरे लिहाफ बिछाये थे
वो पर ऐसे थे की शरीर को साँसों से
और साँसों को ख़ुद से चुराए थे
कब से खोई दुनिया में कागज़ के महल सजाये थे
To : Inspiration
Sunday, June 21, 2009
पुराने पल आज भी साथ है
वो पल पुराने दिन सुहाने खुशियों के रंग लाते है
वो पल तेरे साथ मुझको भी सताते है
टिमटिम तारे रात के सितारे दिन में जगमगाते है
वो पल पुराने दिन सुहाने खुशियों के रंग लाते है
अब चाँद सूरज तो काले नार आते है
टिमटिम तारे रात के सितारे दिन में जगमगाते है
साँसों की नजदीकियां मेरी साँसों में महक जाते है
दूर तुम हो मुझसे पर दरमिया नज़र आते हो
वो पल तेरे साथ मुझको भी सताते है
टिमटिम तारे रात के सितारे दिन में जगमगाते है
वो पल पुराने दिन सुहाने खुशियों के रंग लाते है
अब चाँद सूरज तो काले नार आते है
टिमटिम तारे रात के सितारे दिन में जगमगाते है
साँसों की नजदीकियां मेरी साँसों में महक जाते है
दूर तुम हो मुझसे पर दरमिया नज़र आते हो
यत्न प्रयत्न का मेला
सिर पटकती फिर सिसकती पत्थरों ने बोला है
देख दिल इस देवता का पत्थर मोम सा पिघला है
यत्न करती प्रयत्न करती अब पश्चताप का मेला है
देख दिल इस देवता का पत्थर मोम सा पिघला है
रह रही थी जिस महल पर ख्वाबों का मेला है
अब समझ कर अब सहम कर पश्चाताप झेला है
फिर सिसकती सिर पटकती पत्थरों ने बोला है
यत्न करती प्रयत्न करती अब पश्चताप का मेला है
सुन सुनहरी सुन सुनहरी अब रात का बसेरा है
चाँद चाँदनी और पलंग बस जज्बातों का फेरा है
फिर सिसकती सिर पटकती पत्थरों ने बोला है
यत्न करती प्रयत्न करती अब पश्चताप का मेला है
नग्न पैर है केश खुले है ये तो रैन बसेरा है
जीना था तेरी खातिर अब मरना हक मेरा है
फिर सिसकती सिर पटकती पत्थरों ने बोला है
यत्न करती प्रयत्न करती अब पश्चताप का मेला है
अब खड़ी इस दरवाजे पर मोक्ष बना तू मेरा है
ईस्वर नही अल्लाह नही अब सब कुछ तू मेरा है
इस जिस्म पर इस रूह पर हक केवल तेरा है
फिर सिसकती सिर पटकती पत्थरों ने बोला है
यत्न करती प्रयत्न करती अब पश्चताप का मेला है
सिर पटकती फिर सिसकती पत्थरों ने बोला है
देख दिल इस देवता का पत्थर मोम सा पिघला है
यत्न करती प्रयत्न करती अब पश्चताप का मेला है
देख दिल इस देवता का पत्थर मोम सा पिघला है
रह रही थी जिस महल पर ख्वाबों का मेला है
अब समझ कर अब सहम कर पश्चाताप झेला है
फिर सिसकती सिर पटकती पत्थरों ने बोला है
यत्न करती प्रयत्न करती अब पश्चताप का मेला है
सुन सुनहरी सुन सुनहरी अब रात का बसेरा है
चाँद चाँदनी और पलंग बस जज्बातों का फेरा है
फिर सिसकती सिर पटकती पत्थरों ने बोला है
यत्न करती प्रयत्न करती अब पश्चताप का मेला है
नग्न पैर है केश खुले है ये तो रैन बसेरा है
जीना था तेरी खातिर अब मरना हक मेरा है
फिर सिसकती सिर पटकती पत्थरों ने बोला है
यत्न करती प्रयत्न करती अब पश्चताप का मेला है
अब खड़ी इस दरवाजे पर मोक्ष बना तू मेरा है
ईस्वर नही अल्लाह नही अब सब कुछ तू मेरा है
इस जिस्म पर इस रूह पर हक केवल तेरा है
फिर सिसकती सिर पटकती पत्थरों ने बोला है
यत्न करती प्रयत्न करती अब पश्चताप का मेला है
सिर पटकती फिर सिसकती पत्थरों ने बोला है
चाँद धरा और हसरतें
चाँद उतरा इस धारा पर, पूरी करने को हसरतें
देख चाँदनी के अस्क को, और बदलती वो करवटें
रह गया खामोश वो , हो गई थी बेहोश वो
सुध बुध न रही , हो गई खामोश वो
देख चाँदनी की बेबसी , चाँद भी फफक कर रोया
रह गया खामोश हो , गया था मदहोश वो
देख चाँदनी के अस्क को चाँद उतरा इस धरा को
सिमटी सी सिसकी भरी चुभती सी हँसी
ले गई रात वो रह गया खमोश वो
कर रही सुबह चांदनी पर किरण का कहर
सिमटी सी सिसकती चादनी पर सूरज का कहर
चाँद उतरा इस धारा पर पूरी करनें को हसरते
देख चाँदनी के अस्क को और बदलती हुई वो करवटें
कभी पास कभी दूरी इन दोनों की मजबूरी
अब तो पूरण की ही रात खत्म करेगी दूरी
इस करवट कभी उस करवट पर छोड़ती नही हट
मिलन की एक रात की छोड़ दे तू हट
दूर है देश वो प्रेम का परदेश वो
दूर हुईं दूर सही पर है मेरा स्वदेश वो
इस कहर से इस सिहर से क्या छोड़ दूँ मैं पीहर को
मिट जाऊगी मर जाऊगी इस हट पर मर वर जाऊगी
प्यार की इस विरह को घूँट समझ पि जाऊगी
दे दे मुझे विष कोलाहल अमृत समझ पी जाऊगी
मिट जाऊगी मर जाऊगी हर पहर मर जाऊगी
कर रही हूँ पहर को अन्तिम हो गई हूँ मैं स्वर्णिम
नाम मेरा बदला है सूरज आग का गोला है
सूरज ने मेरा दामन खिंच कर खोला है
नाम मेरा बदल गया सूरज के संग दोल गया
देर करी है तुने लेकिन मन मेरा ये बोला है
तू ही मेरा डोला है तू ही मेरा डोला है
देख चाँदनी के अस्क को, और बदलती वो करवटें
रह गया खामोश वो , हो गई थी बेहोश वो
सुध बुध न रही , हो गई खामोश वो
देख चाँदनी की बेबसी , चाँद भी फफक कर रोया
रह गया खामोश हो , गया था मदहोश वो
देख चाँदनी के अस्क को चाँद उतरा इस धरा को
सिमटी सी सिसकी भरी चुभती सी हँसी
ले गई रात वो रह गया खमोश वो
कर रही सुबह चांदनी पर किरण का कहर
सिमटी सी सिसकती चादनी पर सूरज का कहर
चाँद उतरा इस धारा पर पूरी करनें को हसरते
देख चाँदनी के अस्क को और बदलती हुई वो करवटें
कभी पास कभी दूरी इन दोनों की मजबूरी
अब तो पूरण की ही रात खत्म करेगी दूरी
इस करवट कभी उस करवट पर छोड़ती नही हट
मिलन की एक रात की छोड़ दे तू हट
दूर है देश वो प्रेम का परदेश वो
दूर हुईं दूर सही पर है मेरा स्वदेश वो
इस कहर से इस सिहर से क्या छोड़ दूँ मैं पीहर को
मिट जाऊगी मर जाऊगी इस हट पर मर वर जाऊगी
प्यार की इस विरह को घूँट समझ पि जाऊगी
दे दे मुझे विष कोलाहल अमृत समझ पी जाऊगी
मिट जाऊगी मर जाऊगी हर पहर मर जाऊगी
कर रही हूँ पहर को अन्तिम हो गई हूँ मैं स्वर्णिम
नाम मेरा बदला है सूरज आग का गोला है
सूरज ने मेरा दामन खिंच कर खोला है
नाम मेरा बदल गया सूरज के संग दोल गया
देर करी है तुने लेकिन मन मेरा ये बोला है
तू ही मेरा डोला है तू ही मेरा डोला है
Saturday, June 13, 2009
बालिका वधु
देख रही खडी इन हाथों की लकीरों को
मेंहदी के रंग से गढ़ी हथेलियों को
बज रही शहनाई चढ़ती बारात दरवाजों को
खुश होती वो पहन रंगीन चूडियों को
चोली घाघर साथ सोने के गहनों को
करती है इन्तजार उस सुहाने पल को
मिलन के पावन सुंदर सलोने पल को
उम्र नही हुई पार, थी वह मुश्किल सोलह को
दूल्हा भी था, था पर चढ़ती हुई उमर को
खुश अब सेज पर देख , फूलों की लडों को
खेल खेल में खेलती, देखती अपने सुंदर तन को
खूब सुहाना खूब सलोना बिस्तर पर था खिलौना
हुई दरवाजों को दस्तक दूल्हा आया संसर्ग को
खिलखिलाना बंद हुआ कुछ दुल्हन को महसूस हुआ
नई उम्र के ख्वाब कर रहा था चूर वो
बेबस और लाचार बिस्तर पर थी हार वो
उन ही लड़ियों को समेटती तन को धकेलती वो
लडखडाती हाथ जोड़ घुटनों को मोड़ वो
बिस्तर से तन को धकेलती मर्यादायों की कलइ खोलती
फफक फफक कर रो रही वो हाथों की लकीरें मेट रही वो
आसुओं से मेहदी को धो रही वो
आसुओं से मेहदी को धो रही वो
देख रही खड़ी इन हाथो की लकीरों को मेहदी के रंग से गढ़ी हथेलियों को
देख रही खड़ी इन हाथो की लकीरों को मेहदी के रंग से गढ़ी हथेलियों को
मेंहदी के रंग से गढ़ी हथेलियों को
बज रही शहनाई चढ़ती बारात दरवाजों को
खुश होती वो पहन रंगीन चूडियों को
चोली घाघर साथ सोने के गहनों को
करती है इन्तजार उस सुहाने पल को
मिलन के पावन सुंदर सलोने पल को
उम्र नही हुई पार, थी वह मुश्किल सोलह को
दूल्हा भी था, था पर चढ़ती हुई उमर को
खुश अब सेज पर देख , फूलों की लडों को
खेल खेल में खेलती, देखती अपने सुंदर तन को
खूब सुहाना खूब सलोना बिस्तर पर था खिलौना
हुई दरवाजों को दस्तक दूल्हा आया संसर्ग को
खिलखिलाना बंद हुआ कुछ दुल्हन को महसूस हुआ
नई उम्र के ख्वाब कर रहा था चूर वो
बेबस और लाचार बिस्तर पर थी हार वो
उन ही लड़ियों को समेटती तन को धकेलती वो
लडखडाती हाथ जोड़ घुटनों को मोड़ वो
बिस्तर से तन को धकेलती मर्यादायों की कलइ खोलती
फफक फफक कर रो रही वो हाथों की लकीरें मेट रही वो
आसुओं से मेहदी को धो रही वो
आसुओं से मेहदी को धो रही वो
देख रही खड़ी इन हाथो की लकीरों को मेहदी के रंग से गढ़ी हथेलियों को
देख रही खड़ी इन हाथो की लकीरों को मेहदी के रंग से गढ़ी हथेलियों को
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