Sunday, June 21, 2009

यत्न प्रयत्न का मेला

सिर पटकती फिर सिसकती पत्थरों ने बोला है
देख दिल इस देवता का पत्थर मोम सा पिघला है
यत्न करती प्रयत्न करती अब पश्चताप का मेला है
देख दिल इस देवता का पत्थर मोम सा पिघला है

रह रही थी जिस महल पर ख्वाबों का मेला है
अब समझ कर अब सहम कर पश्चाताप झेला है
फिर सिसकती सिर पटकती पत्थरों ने बोला है
यत्न करती प्रयत्न करती अब पश्चताप का मेला है

सुन सुनहरी सुन सुनहरी अब रात का बसेरा है
चाँद चाँदनी और पलंग बस जज्बातों का फेरा है
फिर सिसकती सिर पटकती पत्थरों ने बोला है
यत्न करती प्रयत्न करती अब पश्चताप का मेला है

नग्न पैर है केश खुले है ये तो रैन बसेरा है
जीना था तेरी खातिर अब मरना हक मेरा है
फिर सिसकती सिर पटकती पत्थरों ने बोला है
यत्न करती प्रयत्न करती अब पश्चताप का मेला है


अब खड़ी इस दरवाजे पर मोक्ष बना तू मेरा है
ईस्वर नही अल्लाह नही अब सब कुछ तू मेरा है
इस जिस्म पर इस रूह पर हक केवल तेरा है
फिर सिसकती सिर पटकती पत्थरों ने बोला है

यत्न करती प्रयत्न करती अब पश्चताप का मेला है
सिर पटकती फिर सिसकती पत्थरों ने बोला है


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